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Shiv Tandav Stotra with Hindi meaning रावण रचित शिव तांडव स्तोत्र

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  Shiv Tandav Stotram with Hindi meaning  रावण रचित शिव तांडव स्तोत्र  शिव तांडव स्तोत्र या रावण रचित शिव तांडव स्तोत्र जब शिव भक्तो का नाम आता है तो रावण को शिव का महान भक्त बताया जाता है| उसने भगवान शिव को खुश करने के लिए शिव तांडव स्तोत्र का जाप किया था जिसमे शिव की महिमा का वर्णन मिलता है | शिव तांडव स्तोत्र की कथा :- ऐसा माना जाता है की एक बार जब रावण अपने सौतेले भाई कुबेर को हराकर और उसकी नगरी अलका को लूटकर जो कैलाश पर्वत के पास थी वापस पुष्पक विमान (जो उसने कुबेर से लूटा था से) से लंका जा रहा था तो वह कैलाश पर्वत को पार नही कर पा रहा था| तब नंदी ने उनको आगे जाने से रोका तो रावण शिव और नंदी का मजाक बनाने लगा तब नंदी ने रावण को श्राप दिया की उसकी मृत्यु बंदरो की वजहसे होगी ऐसा सुनकर रावण को गुस्सा आ जाता है और वह सम्पूर्ण कैलाश पर्वत को ही सिर पर उठाकर लंका ले जाने लगता है| उसकी इस हरकत से शिव को गुस्सा आता है और वे पैर के अंगूठे से कैलाश पर्वत को दबा देते है जिससे रावण उसके नीचे दबने लगता है और क्षमा मांगता है| तब वो शिव को खुश करने के लिए शिव तांडव स्तोत्र का वाचन करता है

Sage Maitreya ऋषि मैत्रेय दुर्योधन को दिया श्राप

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  ऋषि मैत्रेय :- 18 महापुराणों में से विष्णु पुराण एक बहुत ही महत्वपुरण हिंदू पुराण है | इसे हिंदू पुराणों में पुराणरत्न कहा गया है | इसके वक्ता ऋषि पराशर है जो ऋषि वसिष्ठ के पोते थे वहीं इसके श्रोता ऋषि मैत्रेय है | मैत्रेय ऋषि के आग्रह करने पर ऋषि पराशर ने   विष्णु पुराण सुनाया था | परिचय ऋषि   मैत्रेय महाभारत भारत कालीन एक महान ऋषि थे| इनकी माता का नाम मित्रा था जिससे इनका नाम मैत्रेय पड़ा और पिता का नाम कुषरव था जिसकी वजहसे मैत्रेय जी को कौषारन भी कहा जाता है | इनके गुरु ऋषि पराशर जी ने इनको समस्त वेद , वेदांग और सकल धर्मशास्त्रों का अध्यनन करवाया था | इन्होने ऋषि पराशर से पूछा कि यह जगत किस प्रकार उत्पन्न हुआ और आगे भी कैसे होगा? इसके उत्पन्न होने का क्या कारण रहा और यह सब किससे उत्पन हुआ और आगे किसमे जाकर लीन हो जायगा ? अर्थात वो ऋषि से ब्रह्माण्ड की उत्पति के बारे में पूछना चाहते थे| तब ऋषि पराशर उनको पुराणसंहिता सुनाते है जिसमे उन्होंने बताया की यह जगत विष्णु से उत्पन्न हुआ है , उन्ही में स्थित है , वे ही इसकी स्थिति और लय के कर्ता है तथा यह जगत भी वे ही है| मह

Sage Prashar ऋषि पराशर, ज्योतिष ग्रन्थ, पराशर मंदिर और झील मंडी (हिमाचल)

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  Prashar Temple महर्षि पराशर  ऋषि मैत्रये को विष्णु के अवतारों और सृष्टी की रचना के बारे में बताने वाले महर्षि पराशर को विष्णु पुराण का वक्ता माना गया है | ऋषि पराशर (मृतको को जीवित करने वाला) महर्षि वसिष्ठ के पोते और ऋषि शक्ति के पुत्र थे | पुराणों के रचयिता ऋषि वेदव्यास इनके पुत्र है | वेदों के अनुसार ब्रह्मा के मानसपुत्र वशिष्ठ (सप्तऋषियों में से एक) जिनको शक्ति नाम का पुत्र अरुंधती से हुआ था | ऋषि शक्ति और अद्यश्यन्ति से ऋषि पराशर हुए और मत्स्यगंधा (शांतनु की पत्नी सत्यवती) जिसको पराशर की पुत्री बताया गया है से वेदव्यास जी जिन्होंने भारत के महान ग्रन्थ महाभारत लिखा पैदा हुए थे|   परिचय :- एक बार शक्ति एकायन मार्ग द्वारा पूर्व दिशा में जा रहे थे दूसरी और से राजा कल्माषपाद आ रहे थे रास्ता इतना संकरा था कि कोई एक ही जा सकता था| राजा ने घमंड में आकर ऋषि को रास्ता नही दिया बल्कि उनको मारना शुरु कर दिया राजा का ऐसे राक्षसों जैसे बर्ताव देखकर शक्ति ने उन्हें राक्षस बन जाने का श्राप दे दिया| श्राप के तुरंत प्रभाव से राजा राक्षस बन जाता है और सबसे पहले शक्ति को ही खा जाता

Phulera Dooj फुलेरा दूज 21 फरवरी 2023 जाने तिथि, शुभ मुहूर्त और इस दिन का महत्व ( राधाकृष्ण )

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  फुलेरा दूज 21 फरवरी 2023 जाने तिथि, शुभ मुहूर्त और इस दिन का महत्व   फुलेरा दूज :- हिंदू धर्म के भारतीय कलेंडर या पंचांग के अनुसार फुलेरा दूज का बहुत महत्व है| हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को फुलेरा तीज मनाई जाती है | यह त्यौहार उत्तर भारत के सभी इलाको ज्यादातर बृज, मथुरा और वृन्दावन में मनाया जाता है| यह त्यौहार भगवान कृष्ण और राधा को समर्पित है| यह त्यौहार बसंत पंचमी और होली के बीच में पड़ता है| फुलेरा का मतलब है फूल | इस दिन लोग भगवान कृष्ण के मंदिरों में जाकर उनको फूलो से सजाते है और इस त्यौहार को फूलो की होली भी कहते है क्योंकि इस दिन फूलो से होली खेली जाती है | यह त्योहारों प्रकृति के उपहारों के प्रति धन्यवाद देने का भी प्रतीक है क्योंकि इस समय सर्द ऋतु खत्म होकर ऋतु वसंत आरम्भ हो चुकी होती है और चारो तरफ हरियाली होने लगती है फूल आने लगते है| इस दिन घरो के बाहर फूलो की रंगोली बनाई जाती है | वृन्दावन और मथुरा के मंदिरों में होली की तैयारी शुरु हो जाती है भगवान को अबीर और गुलाल चढाया जाता है| फुलेरा दूज को पूरा दिन शुभ होता है :- ज्

Maha Shivaratri ka mhtav महाशिवत्रि का उपवास कथा और महत्व

महाशिवरात्रि   वैसे तो शिवरात्रि साल में 12 होती है लेकिन हिंदू त्यौहार शिवरात्रि साल में दो ( सावन और फाल्गुन/माघ माह ) बार मनाया जाता है जिसमे फाल्गुन/माघ चतुर्दशी माह वाली शिवरात्रि को ज्यादा शुभ महाशिवरात्रि कहते है| हिंदू त्योहारों में ये दिवाली की ही तरह रात को मनाया जाने वाला त्यौहार है| पुरानी कथाओ के अनुसार इस दिन सृष्टी का आरम्भ भगवान शिव के अग्निलिंग के उदय से हुआ था और इसी दिन भगवान शिव का विवाह माता पार्वती के साथ हुआ था अर्थात प्रकृति और पुरुष का मानव की भलाई के लिए एक होना | माता सती की मृत्यु के शोक में इसी रात भगवान शिव ने तांडव नृत्य किया था इसीलिए 12 शिवरात्रियो में इस रात को महाशिवरात्रि कहा गया है | इस रात को लोग उपवास , जागरण करते है , शिव चालीसा की स्तुति करते है | उप का मतलब है पास और वास का मतलब है जाना या रहना अर्थात भगवान के पास जाना उसका चिन्तन करना | शिवरात्रि का महत्व :- महाशिवरात्रि का वर्णन बहुत से पुराणों जैसे स्कन्द पुराण , लिंग पुराण और पद्मा पुराण में मिलता है| समुंदर मंथन के समय अमृत के साथ हालहल विष भी निकला था जो पुरे ब्रह्मांड को समाप्त कर

ऋषि याज्ञवल्क्य - मैत्री संवाद बृहदअरण्यक उपनिषद् ( आत्मा वा अरे द्रष्टव्यः )

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              महर्षि याज्ञवल्क्य मै त्री संवाद बृहदअरण्यक उपनिषद् :- मैत्री वैदिक काल की महान विदुषी जिसने आत्मा और ब्रह्माण्ड के एक होने को लेकर संवाद उपनिषद में मिलता है की अद्वैत दर्शन शास्त्र का मूल स्तम्भ है | मैत्री को प्राचीन संस्कृत साहित्य में ब्रह्मवादिनी ( जिसको वेदों का ज्ञान हो ) बताया गया है | मैत्री स्त्री शिक्षा के महत्व के रूप मे एक मिशाल है जिसने गृहस्थ जीवन जीने के साथ साथ अध्यात्मिक ज्ञान को भी प्राप्त किया और आजीवन अध्यनन मनन में लीन रही | बृहदअरण्यक उपनिषद् में इनको महर्षि याज्ञवल्क्य की पत्नी बताया गया है वही महाभारत में इनको आजीवन ब्रह्मचारिणी बताया गया है जिन्होंने जनक को अद्वैत दर्शन के बारे में बताया था| बृहदअरण्यक उपनिषद् में मैत्री का वर्णन :- ऋषि याज्ञवल्क्य का वर्णन बृहदअरण्यक उपनिषद् में कई प्रसंगों में मिलता है उनका गगरी और मैत्री के स्थ हुआ संवाद काफी दिलचस्प है जिसमे आत्मा और ब्रह्माण्ड को जानने का वर्णन है | ऋषि याज्ञवल्क्य   सुलभ मैत्री ( ऋषि मैत्री की पुत्री ) और कात्यायनी ( ऋषि भारद्वाज की पुत्री )   ऋषि याज्ञवल्क्य की दो पत्निया थी| मै

सम्पूर्ण स्वस्तिवाचन हिंदी में स्वस्ते ना इन्द्रो का हिंदी अनुवाद Swastivachan Mantra

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  संपूर्ण स्वस्ते ना इन्द्रो मंत्र स्वस्तिवाचन  स्वस्ति वाचन (मंगल पाठ) शांति पाठ हिंदी अनुवाद सहित :- हिंदू धर्म में प्राचीन परंपरा रही है की जब कभी भी हम कोई शुभ कार्य आरम्भ करते है तो उसके सफल होने के लिए भगवान से मंगलकामना करते है कि वो कार्य सिद्ध हो | हिंदू धर्म के जितने भी वेदों में ऋचाये या मंत्र है उनको सही से बोलने से दिव्य शक्ति प्राप्त होती है और मन शांत होता है | किसी भी शुभ कार्य को प्रारम्भ करते, विवाह , पुत्रजन्म, मकान की नीव स्थापना और सनातन धर्म के षोड्स सस्कारों को करते समय स्वस्तिवाचन किया जाता है | स्वस्तिवाचन का दैनिक नित्य पूजा कर्म मे भी पाठ कर सकते हैं | स्वस्तिवाचन जीवन में नेगेटिव ऊर्जा को दूर कर सकारात्मकता की ओर ले जाता है | जिस प्रकार स्वास्तिक सभी प्रकार के वास्तु दोष समाप्त कर देता है , वैसे ही स्वस्ति वाचन से सभी प्रकार के पूजन दोष समाप्त हो जाते हैं।   हिंदी अनुवाद की जरूरत क्यों है? मानव जीवन को बेहतर बनाने के ऋषियों ने जो वेदों , ग्रंथो , उपनिषदों , पुराणों की ऋचाओ, मंत्रो की रचना की और उसी आधार पर हिंदू धर्म के व्रत, प्रथाएं और त्य

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Devi Arundhati and Vasistha story wife of sage Vasistha